सुधि-सृजन sudhi-srijan
बुधवार, 7 मई 2014
कविता
फूल और कली.....
कि
सी ने बगीचे में बैठकर
एक प्रेम-गीत लिखा
तो एक फूल खिल गया।
एक कली को फूल का
साथ मिल गया।
अब खिलने को आतुर
कली खिलखिलाती है,
फूल हंसता-गाता है तो
किसी को क्यों
एतराज होता है
किसी का क्या जाता है?
-सुधीर सक्सेना 'सुधि'
2 टिप्पणियां:
डॉ. मोनिका शर्मा
7 मई 2014 को 6:33 pm बजे
Bahut Sunder....
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अमिय प्रसून मल्लिक
8 सितंबर 2021 को 12:03 pm बजे
बेहतरीन
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Bahut Sunder....
जवाब देंहटाएंबेहतरीन
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