बुधवार, 7 मई 2014

कविता

फूल और कली.....
किसी ने बगीचे में बैठकर
एक प्रेम-गीत लिखा
तो एक फूल खिल गया।
एक कली को फूल का
साथ मिल गया।
अब खिलने को आतुर
कली खिलखिलाती है,
फूल हंसता-गाता है तो
किसी को क्यों
एतराज होता है
किसी का क्या जाता है?
-सुधीर सक्सेना 'सुधि'


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