बुधवार, 10 नवंबर 2010

कविता

रावण का एक सवाल

मित्रो!
यह मेरा रावण है, इसे ना मारो। क्योंकि
पहले एक ही रावण था,
उसका तो श्रीराम ने वध कर दिया था।
किन्तु; आज हर शहर, हर मोहल्ले,
हर गली, हर घर में रावण पैदा हो गए हैं।
क्योंकि आज घर-घर में सीता है।
अत: उसे हरने के लिए रावण को
पुनर्जन्म लेना पड़ रहा है।
क्योंकि उसे तो स्वभावगत विवशता के चलते
सीता को हरना ही पड़ता है।
रावण यह भी जानता है कि
हर बार उसे ही
झूठ-मूठ मरना पड़ता है!
भले ही वह पुतला है तो क्या,
इतना तो समझता ही है कि -
कठपुतली की तरह नाचते-नचाते इस देश में
एक, दो नहीं, सैकड़ों तथाकथित ‘रामों’ की भीड़ है।
और वो है निहत्था! खूंटों से बंधा हुआ!
लेकिन तय है मित्रो,
रावण को नहीं मरना है।
क्योंकि वह हमारी संस्कृति का है अटूट हिस्सा।
कितनी मज़ेदार बात है कि हम अभी भी
अपने भीतर ढो रहे हैं, रावण को!
रावण तो मरता है, तीर-कमान से किन्तु;
तीर-कमान नहीं बनते मेरे अरमान से।
क्योंकि आजकल बनती हैं-तोपें, बंदूकें ,
ए-·के -47 या फिर परमाणु बम!
इनसे नहीं टूटता रावण का दंभ!
और ना ही निकलता है उसका दम।
तीर-कमान नहीं बन पाते, इसीलिए
रावण भी नहीं मर पाते।
सीता हरण होता रहता है।
और ज़ोरदार अट्टहास करता
रावण ज़िंदा ही रहता है।
क्रोध, अहंकार तो किसी भी मनुष्य के
प्राकृतिक भाव हैं लेकिन इनकी अधिकता ,
इनकी पराकाष्ठा ही रावण से संबंधित मुहावरा बन जाती है।
जैसे, एक मुहावरा-असत्य पर सत्य की जीत का।
हर साल वह रामों की भीड़ से पूछता है,
एक सवाल कि -
अपने भीतर झांकने की कितनों में है हिम्मत?
लेकिन उसे जवाब कभी नहीं मिला।
मित्रो, रावण न तो एक विवाद है,
न एक समस्या है और
न ही कोई सुलगता प्रश्न!
ये तो समाज की लचर·कुव्यवस्थाओं का,
रोज़मर्रा का हिस्सा है, जिन पर करोड़ों मुंह
सिर्फ़ चटखारेदार बातें ही करते आए हैं।
और पुतलों को आग लगाते आए हैं।
जिस दिन इनसान छोड़ देगा बनाना
अत्याधुनिक हथियार! करने लगेगा मनुष्य,
मनुष्य से प्यार
और बना-बना कर शुरू कर देगा
छोडऩा-मोहब्बत के आकाश में
भाईचारे की भावना से भरे तीर-कमान!
उस दिन रावण का भी अंत हो जाएगा
और तब श्रीराम का भी पुनर्जन्म होगा
कलियुग समाप्त हो जाएगा
सतयुग का आगमन होगा,
इनसानियत को मोक्ष प्राप्त होगा!

-डॉ. अतुल सक्सेना

2 टिप्‍पणियां:

  1. सचेष्ट भाव!!
    हिन्दी ब्लाग जगत में स्वागत!!

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  2. ये तो समाज की लचर·कुव्यवस्थाओं का,
    रोज़मर्रा का हिस्सा है, जिन पर करोड़ों मुंह
    सिर्फ़ चटखारेदार बातें ही करते आए हैं।
    और पुतलों को आग लगाते आए हैं।
    जिस दिन इनसान छोड़ देगा बनाना
    अत्याधुनिक हथियार! करने लगेगा मनुष्य,
    मनुष्य से प्यार
    marvelous

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