शनिवार, 13 नवंबर 2010

दो कविताएं

(एक)
घोंसला
वह ढेर सारे तिनकों
बहुत सारी मेहनत
और अखंडित लगन से
बनाती है एक घोंसला
जिसमें पालती है वह
अपने बच्चों को
और मांगती है दुआ कि
उसके अपने बच्चे न भूलें,
यह घोंसला।
***
(दो)
माँ की गोद
माँ की गोद, असीमित सुख!
मुलायम पालना
झूलती बांहें
अद्भुत संगीत
बंद आंखें, तैरते सपने
टपकता अमृत
शान्त मन
निश्चिंत शरीर
कोमल स्पर्श
शुद्ध भावनाएं
प्रथम विश्राम
अंतिम इच्छा।
माँ की गोद, असीमित सुख!
***
-डॉ. अनुपमा गुप्ता

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