सोमवार, 11 अप्रैल 2011

कविता (समय)

समय

कभी बूढ़ा नहीं होता

जो सठिया जाए!

समय तो बस

समय होता है

कभी अच्छा, कभी बुरा

इसलिए- झोली में

कभी होता है

मुट्ठी भर आटा

और कभी होता है

पेट में सन्नाटा!

-सुधीर सक्सेना 'सुधि'

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