प्रार्थना को चहचहाने के बाद.....
एक प्रार्थना की तरह है
उस चिड़िया का जीवन...
जो अकेली है
अपने घोंसले में।
ज़रूरी है प्रार्थना
क्योंकि चिड़िया को अभी और
जीने की अभिलाषा है।
मुक्त आकाश में विचरने का मोह
भंग हो गया होता तो
बात समझ में भी आती,
लेकिन घोंसले की तनहाई से मोह
छूटता जो नहीं !
सोचती है चिड़िया और फिर
ख़ुशी से फुदकती है,
प्रार्थना को चहचहाने के बाद।
-सुधीर सक्सेना 'सुधि'
एक प्रार्थना की तरह है
उस चिड़िया का जीवन...
जो अकेली है
अपने घोंसले में।
ज़रूरी है प्रार्थना
क्योंकि चिड़िया को अभी और
जीने की अभिलाषा है।
मुक्त आकाश में विचरने का मोह
भंग हो गया होता तो
बात समझ में भी आती,
लेकिन घोंसले की तनहाई से मोह
छूटता जो नहीं !
सोचती है चिड़िया और फिर
ख़ुशी से फुदकती है,
प्रार्थना को चहचहाने के बाद।
-सुधीर सक्सेना 'सुधि'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें